आंख्या की कविता Poem by Manish Shokeen

आंख्या की कविता

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तू पॉलिटिशियन सी मत भकाया कर,
तू मज़हबी भी बात ना बतळाया कर,

तेरे लबाँ की लाल सुर्खी, किसे
लिटरेरी एज सी जिंदा लागै है मनै,
तू आंख्यां की कविता सुणाया कर ।

नींद है तू, मनै कदे रात भर आया कर,
तू रंग है, कदे सुपन्या मै भर ज्याया कर,

तेरे बाळां का काळा अँधेरा, किसे
डूंघी नहर सा गहरा लागै है मनै
इस पाणी के छींटे मेरे प बरसाया कर ।

Sunday, February 4, 2018
Topic(s) of this poem: love and dreams
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Manish Shokeen

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Najafgarh
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