Manish Shokeen

Manish Shokeen Poems

बागीचे तै तोड़ कै एक डंडी, आज गुलेल बणाऊँ तो,
गुलेल मैं भर कै स्यतारे, आज असमान तड़काऊँ तो ।

कोहणी तक की खींच गुलेल मैं मारूँ न्यशाना चाँद पै,
...

ज़बान कटी इश्क़ तेरे की
मैं गूंगे गले तै गा लयूंगा..
रात चांदणी पड़या एकला
उलाहणे चाँद के, खा लयूंगा...
...

बिज्जल पाट्टै आसमां मे, लामणी सर पै आरी
रामजी भी दुश्मन बन गया, सरकार तो थी ए न्यारी

ज्यूँ ज्यूँ बिजली कड़कै, उस किसान का कालजा धड़कै
...

चुग-चुग काकर रोड तै, फैके जाऊँ जोह्ड म्ह
बैठ कै कंठारे पै, देख कै शांत पाणी नै

म बगाऊं एक काकर, अर तु उसतै मचळ कै
...

तू पॉलिटिशियन सी मत भकाया कर,
तू मज़हबी भी बात ना बतळाया कर,

तेरे लबाँ की लाल सुर्खी, किसे
...

थी चन्द्रमा सी श्यान हूर की, सरड़क बीच खड़ी देखी,
मध जौबन्न की डीक बळै, न्यू जळती फूलझड़ी देखी ।

उस विश्वामित्र की कुटिया मैं, मनै मेनका हूर बड़ी देखी,
...

तेरी जुल्फां की छाँह म्ह

मनै कितणे मौसम हारे सैं,
...

The Best Poem Of Manish Shokeen

गुलेल मैं भर कै स्यतारे, आज असमान तड़काउं तो

बागीचे तै तोड़ कै एक डंडी, आज गुलेल बणाऊँ तो,
गुलेल मैं भर कै स्यतारे, आज असमान तड़काऊँ तो ।

कोहणी तक की खींच गुलेल मैं मारूँ न्यशाना चाँद पै,
टूट कै पड़ ज्या तेरे आंगण मैं ठा कै भर ल्यूं पान्द मैं,

देख भाळ कै चौगर्दै मैं ठा चाँद कांध कूद ज्याऊँ तो ।
गुलेल मैं भर कै स्यतारे, आज असमान तड़काउं तो ।।

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