Shayar Hun Koi Farishta Toh Nhi. Poem by Anand Prabhat Mishra

Shayar Hun Koi Farishta Toh Nhi.

शायर हूँ कोई फ़रिश्ता तो नहीं
तेरा दर्द मेहसूस कर सकता हूँ
पर मिटा सकता नहीं
चाहो तो कुछ दर्द पन्नों पर उतार लो
वाह वाही मिलेगी बदले में,
हाँ पर मोहब्बत नहीं
शायर हूँ कोई फ़रिश्ता तो नहीं
तुम छुपा लो लाख तकलीफें अपनी
चेहरे पर सजा लो झुठी मुस्कान अपनी
पर मैं जानता हूँ ये आंसू हैं पानी तो नहीं
मोहब्बत के आशियाने को तन्हा छोड़ गया है कोई
तेरा दिल रोया है आज यूँ हीं तो नहीं
सच कहता हूँ तेरी तकलीफें सीने से लगा लूंगा
पर तेरे सीने के जख़्म भर सकता नहीं
शायर हूँ कोई फ़रिश्ता तो नहीं
ठहरा लूँ कुछ पल तुम्हे अपने आशियाने में
पर सुकून की नींद दे पाउँगा नहीं
महफूज़ चार दीवारें तो हैं पर मोहब्बत सी छत नहीं
बिखरे हैं अरमानों के सीसे हर ओर
डर लगता है तुम्हे चुभ न जाएं कहीं
हाँ पर चाहो तो पन्नों के मखमली बिस्तर पर
अरमानों को अपने कुछ वक़्त सोने दो
इससे ज्यादा कुछ और दे पाउँगा नहीं
शायर हूँ कोई फ़रिश्ता तो नहीं

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