Aaj Fir Aana Mere Sapne Me. Poem by Anand Prabhat Mishra

Aaj Fir Aana Mere Sapne Me.

आज फिर आना मेरे सपने में
और मुझको रुला जाना,
बंद आँखों में तस्वीर अपनी छुपा जाना
तन्हाई सी रात को आसुंओं से भिगो जाना
सुबह होने से पहले ख़्यालों से लौट जाना
आज फिर आना मेरे सपने में...
ख़ामोशी भरे इन होठों पर
नग़मे अपनी छोड़ जाना
अल्हड़ से इस मन को
यादें अपनी दे जाना
कुछ तो निशानी रहे तेरा होने का
एक बार फिर दिल तोड़ जाना
आज फिर आना मेरे सपने में...
सिख न ले ये दिल तेरे बगैर जीना
तब तक इस दिल पर प्रहार करना
तुझसे प्यार करने की इसकी ये आदत
हमेशा हमेशा के लिए मिटा जाना
हाँ कोई शिकवा नहीं तुम से फिर भी
बस एक बार फिर तबाह कर जाना
आज फिर आना मेरे सपने में
और मुझको रुला जाना.

COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success