दया की दृष्टि से हेरो हमें हे शारदे देवी ।
कुबुद्धि को मिटा हीय से सुमति दो, शारदे देवी ।
पड़ी मझधार में नईया नहीं कोई है यहां अपना,
खेवईया नींद में सोया जगा दो, शारदे देवी ।
न बल है, न बुद्धि और विद्या, न जप-तप दान शक्ति है,
तेरा हीं एक शरण हमको शरण दो, शारदे देवी ।
थके श्रुति शेष गुण गाते तेरी महिमा अन्न्नता है ।
हमें दो दान विद्या की नमस्तै शारदे देवी ।
अमित पद पदम् की शोभा सुरीली तान वीणा की,
हरे सब विघ्न बाधाएं प्रसीद शारदे देवी ।
दया की दृष्टि से हेरो हमें, हे शारदे देवी ।।
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