O Mere Pehle Prem (ओ मेरे पहले प्रेम) Poem by Dhaneshwar Dutt

O Mere Pehle Prem (ओ मेरे पहले प्रेम)

Rating: 5.0

ओ मेरे पहले प्रेम
तू मुझे याद ना आया कर
तेरे बिन अधूरा हूँ मैं
तू ना मुझे सताया कर
याद तेरी जब आती है
अंदर से टूट जाता हूँ
कितने आँसू आते है
मगर किसी को ना बताता हूँ
अब रातो में आकर
तू ना मुझे जगाया कर
ओ मेरे पहले प्रेम
तू मुझे याद ना आया कर

देखा था जब मैंने तुझको
तू थोड़ा शरमाई थी
अपने दिल के अंदर तूने
कितनी बात छुपाई थी
जब मेरे वादे सुनकर
तेरी आँखें भर आई थी
मुझसे मिलने के लिए
तू मेरे घर तक आई थी
अब अपनी यादोें के सहारे
तू मुझको ना रुलाया कर
ओ मेरे पहले प्रेम
तू मुझे याद ना आया कर

याद है मुझको वो हर पल
जो तेरे साथ बिताया था
ढूंढ रहा हूँ तेरा घर
जो तूने मुझे दिखाया था
कोई मेरा प्यार क्या समझे
तू तो बस मेरा है
बिन तेरे इस ज़िंदगी में
हर तरफ अँधेरा है
तेरी खातिर मैंने कितना
दर्द यह झेला है
कुछ गलत ना कर बैठे
दिल बहुत अकेला है
अब मुझे दूर रहकर
तू इस दिल को ना जलाया कर
ओ मेरे पहले प्रेम
तू मुझे याद ना आया कर

O Mere Pehle Prem (ओ मेरे पहले प्रेम)
Thursday, October 1, 2015
Topic(s) of this poem: love and life,painful
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
The pain of love,
pain and deception
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 01 October 2015

पहले प्रेम की कशिश और उसके असफल हो जाने के बाद की पीड़ा को आपने इस कविता में एक प्रभावपूर्ण अभिव्यक्ति दी है. अपनी इस अवस्था के बावजूद प्रेमी किसी पर कोई इल्ज़ाम नहीं रखता, सिर्फ सहता है: याद तेरी जब आती है / अंदर से टूट जाता हूँ / कितने आँसू आते है / मगर किसी को ना बताता हूँ

3 0 Reply
Kumarmani Mahakul 01 October 2015

Such a grief mixed with joy love while comes in mind the poet breaks a little from inside and urges not to remember but he remembers this first love. Such wonderful expression amazes mind, . Nice sharing really....10

3 0 Reply
M Asim Nehal 01 October 2015

Badhiya kavita hai...Pasand aayi. Mai aapko apni kavita padhne ka nimantran deta hoon, Dhanyavaad.

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