Love Poetry By Dhaneshwar Dutt (प्रेम कविता) Poem by Dhaneshwar Dutt

Love Poetry By Dhaneshwar Dutt (प्रेम कविता)

चाँद चांदनी को चाहता है जिस कदर, वैसे चाहूँ मैं तुझे।
मेरी एक ख्वाहिश तू मेरी बन जा या अपना बना ले मुझे।
मुझे अच्छी तरह याद है वो दिन, जब हम बस में मिले थे।
जाने अनजाने सही दिल मे प्यार के कुछ फूल खिले थे
ये भी याद है तुम ने उस दिन क्या पहना हुआ था,
तुमसे क्या बोलू ये सोचकर दिल बहुत सहमा हुआ था।
बस उस दिन के बाद मेरा दिल तेरी याद में सदा डूबे,
तुम्हारे बिना इस दिल को और कुछ भी नहीं सूझे,
तुम मेरे पास होती हो तो मुझे लगता है
इस दुनिया की हर ख़ुशी है मेरे पास है
तुम नही हो अगर इस ज़िंदगी मे….
फिर इस जिंदगी का हर एक पल उदास है।
मैं समझ जाऊँ सबकुछ कभी इशारों में कहो
तुम क्या हो मेरे लिए, तुम कितनी जरूरी हो
दिल नही जानता मोहब्बत, क्या है गलत क्या सही
दिल की कुछ हज़ारो बाते जो मैंने तुमसे नही कही।
तुम्हारी बातों से हो जाता हूँ मदहोश
दिल को नही रह पाता है कुछ भी होश।
दिल पर मेरे अब मेरा बस नही

ज़िंदगी तुम्हारे बिना ज़िंदगी नही
ये दिल बस तुम्हें खुश देखना चाहता है,
मोहब्बत के सिवा मुझे कुछ नही आता है
जब तुम खुश होती हो तो मुझे
सारी कयानात खुश नज़र आती है,
जब तुम कभी उदास होती हो
तब मेरी दुनियाँ उदास हो जाती है।
ना मेरे पास ज़्यादा पैसा, ना ज़्यादा दौलत, ना शौहरत।
ये चीज़े नही काम की बस ज़िंदगी में है तुम्हारी जरूरत
मगर दिल चाहता है तुमको वो हर चीज़ जरूर मिले।
हम दोनों के बीच कभी ना हो कोई शिखवा और गीले।
प्यार नही है तुमसे, चली जाओ, मैं ऐसा कभी ना कहूँगा
तुम्हें प्यार करता था, करता हूँ और हमेेेशा करता रहूँगा।

Love Poetry By Dhaneshwar Dutt (प्रेम कविता)
Tuesday, March 16, 2021
Topic(s) of this poem: bird loving,love and pain
COMMENTS OF THE POEM
M Asim Nehal 16 March 2021

Wah wah Mohabbat karne walon ka hai bus yehi afsana......

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