अभी तो हौसला बुलंद होश बाकी है! Poem by Ajay Kumar Adarsh

अभी तो हौसला बुलंद होश बाकी है!

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अभी तो हौसला बुलंद होश बाकी है!
अभी ठहर जा ऐ शाकी जाम बाकी है!

अभी तो दिल भरा नहीं आह बाकी है!
दिल में उतरे जो नज़र से राह बाकी है!

पीने दे मुझे जी भरके मिले कब शाकी है!
अभी तो शिलसिला शुरू है शाम बाकी है!

अभी ठहर जा ऐ चांद रात बाकी है!
मेरे महबूब से वो बात सारी बाकी है!

Wednesday, August 17, 2016
Topic(s) of this poem: love
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Ajay Kumar Adarsh

Ajay Kumar Adarsh

Khagaria (Bihar) / INDIA
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