हमें ग़म मिटाना भी नहीं आता Poem by Priyanka Gupta

हमें ग़म मिटाना भी नहीं आता

हमें ग़म मिटाना भी नहीं आता
हमें ग़म छुपाना भी नहीं आता
हम करें तो क्या करें
ग़म को सीने लगाना भी नहीं आता

करके देखें दोस्ती ग़म से
बनालें ग़म को ताकत अपनी
बद्दनसीबी कभी तो दूर होगी
आखिर वक़्त एक सा तो
कभी नहीं रहता

Sunday, November 2, 2014
Topic(s) of this poem: sad
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