कर सपनों को साकार Poem by Priyanka Gupta

कर सपनों को साकार

Rating: 4.5

ज़िन्दगी एक खूबसूरत समय है
जिसमें हम जो चाहे बुन सकते हैं सपने,
ढेरों ख्वाइशें, रंग भरे अरमां
हो सच्ची रह तो न तूफान का डर
न मुश्किलों की परवाह,
बंद आँखों के सपने पल में बनते बिगड़ते
पर खुली आँखों के सपनों को तो
हमें है पूरा करना,
कुदरत की देन इस ज़िन्दगी में
किसी को हक़ नहीं
दूसरों की ज़िन्दगी छीनने का
है उसे भी अधिकार पूरा
अपने अरमानों संग खुलके जीने का,
न काट तू उन परों को
न रोक तू उनकी उड़ान
आखिर सबका इस दुनिया में
है ख्वाबों का जहान,
हैं जोश में हैं तेज़ उनकी रफ़्तार
पहुंचना हैं मंज़िल पर
करना है सपनों को साकार...

Sunday, October 19, 2014
Topic(s) of this poem: dreams
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