ये बारिश, ये मौसम
ये काले बादल, ये घटाएं
टिप-टिप बरसता पानी
हमारे सोये सपनों को
इक इशारा दे जाये
हर सुबह यूँ तो
इक रात से जागते हैं हम
पर जो अरमान सो गए हमारे
उन्हें कौन जगाये
बरसात यूँ तो भिगोती है तन को
मन की उमंगों के भी तार छेड़ जाये
ऐसा भिगोये दिल से रूह तक
कि एक नया एहसास तिलमिलाए
कुछ कर दिखाने का जोश और भी उमड़ आये
ऐसी बरसात में भीग जाने को जी चाहे
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