दिल से मुहब्बत को मिटा ना सके Poem by Ajay Kumar Adarsh

दिल से मुहब्बत को मिटा ना सके

Rating: 5.0

ये सच है की वादा किया था मिलने का
वो अलग बात है कि तुम निभा ना सके!
मुहब्बत मुझे भी तुमसे ही है, सच है
वो बात अलग है कि कभी बता ना सके!


चाहता हूँ कि भूल जाऊ तुम्हें
तुम एक बिती बात हो
ना याद करु ना दुहराऊ तुम्हे
पर हक़िकत यही है
कि तुम्हे भुला ना सके
कोशिश किया मैंने भी
पर दिल से मुहब्बत को मिटा ना सके


जिंदगी है
चलती है
कब चले किस ओर?
इस उम्मीद में मैं चल रहा
कभी कहीं किसम्त से
बंध जाये अपने डोर!


सिर्फ तुम्हें पाने की चाह में होता
तो फिर प्यार कहॉ होता!
प्यार तो दिलो में यादें संजोने को कहते है
जिसके सहारे हम जीते और मरते हैं!


चलो अच्छा हुआ
ना तो मैं कह पाया कभी
ना ही तुम सुन पाये कभी
पर याद हूँ तुम्हें मैं भी
और याद हो मुझे तुम भी
ये बात क्या कोई कम हुई!

Friday, August 19, 2016
Topic(s) of this poem: love and friendship
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Ajay Kumar Adarsh

Ajay Kumar Adarsh

Khagaria (Bihar) / INDIA
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