Upendra Singh 'suman' Poems

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1.
भारत को बचा लो

भारत को बचा लो

जनमत के लुटेरों से भारत को बचा लो, जागो वतन के नौजवां ये देश संभालो.
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2.
Aaz Rawiwar Hai

मेरी कलम से: रविवार की पूर्व संध्या पर एक गीत -
आज़ रविवार है
जरा दिल से मुस्कराओ कि आज़ रविवार है |
गीत छुट्टियों के गाओ कि आज़ रविवार है |
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3.
भारत भाग्य-विधाता जागो

जागो! हे, मतदाता जागो!
भारत भाग्य-विधाता जागो!
लोकतंत्र के पालनहारे.
हे, सत्ता के दाता जागो!
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4.
एम पी के बुढ़ऊ आका

एम पी के बुढ़ऊ आका
रंगे हाथ वो गिरफ्तार हैं डाल रहे थे हुस्न पे डाका.
बड़बोले भोपूजी गुप-चुप मचा रहे थे धूम-धड़ाका.
लाज-शर्म सब घोल पी गए ले ली है इज्जत से कट्टी.
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5.
Today Is Sunday

Congrats! Congrats! Today is Sunday.
Out of seven we have one day.

It’s a day of our independence.
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प्रभु जी करवा दा हो सेलरिया,
बनिया टोकय बीच बजरिया.

जेब ह खाली हाथ ह खाली.
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7.
छुट्टियाँ

हँसती और खिलखिलाती आती हैं छुट्टियाँ,
हर गम को यारों दूर भगाती हैं छुट्टियाँ.

बच्चे हों या बड़े हों सबको ये दिल से प्यारी,
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8.

सोती उठती जगती थी मैं मृदुल नेह की छावों में.
भटक गया मेरा मन प्रियतम स्मृतियों के गांवों में.

अलकों-पलकों बिंदिया में उलझे दो नयना मतवारे,
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मेरे द्वारा किये गये एक शोध से
ताल ठोंकते हुए यह धमाकेदार सत्य सामने आया है
और अनुभववादियों ने भी डंके की चोट पर बताया है
कि -
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10.

धमाचौकड़ी है दिल्ली में, सकल देश में अंधियाला.
काट रहे वो दूध-मलाई, मचा रहे हैं गड़बड़झाला.

चोर-लुटेरों की पौ-बारह, जन-गण-मन के बजते बारह.
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