Sanjay Singh Saharan

Sanjay Singh Saharan Poems

दोस्त अब थकने लगे हे
साथ साथ जो खेले थे बचपन में
वो सब दोस्त अब थकने लगे है
किसी का पेट निकल आया है
...

Friends are tired now
Together who had played in childhood
All those friends are now tired
Someone's stomach has come out
...

परमेश्वर जानता था कि हर किसी को
इसकी आवश्यकता है साथी और उत्साह,
वह जानता था कि लोगों को किसी की ज़रूरत है,
जिनके विचार सदैव निकट रहते हैं।
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GOD Knew That Everyone Needs
Companion And Cheer,
He Knew That People Need Someone,
Whose Thoughts Are Always Near.
...

🍃तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है
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🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂

मैंने कल एक झलक जिंदगी को देखा,
वो मेरी राह में गुनगुना रही थी...
...

The Best Poem Of Sanjay Singh Saharan

दोस्त अब थकने लगे हे

दोस्त अब थकने लगे हे
साथ साथ जो खेले थे बचपन में
वो सब दोस्त अब थकने लगे है
किसी का पेट निकल आया है
तो किसी के बाल पकने लगे है
सब पर भारी ज़िम्मेदारीया है
सबको छोटी मोटी कोई बीमारी है
दिन भर जो भागते दौड़ते थे
वो अब चलते चलते भी रुकने लगे है
उफ़ क्या क़यामत हैं
सब दोस्त थकने लगे है
किसी को लोन की फ़िक्र है
कहीं हेल्थ टेस्ट का ज़िक्र है
फुर्सत की सब को कमी है
आँखों में अजीब सी नमीं है
कल जो प्यार के ख़त लिखते थे
आज बीमे के फार्म भरने में लगे है
उफ़ क्या क़यामत हैं
सब दोस्त थकने लगे है
देख कर पुरानी तस्वीरें
आज जी भर आता है
क्या अजीब से है ये वक़्त भी
किस तरह ये गुज़र जाता है
कल का जवान दोस्त मेरा
आज अधेड़ नज़र आता है
कल के ख़्वाब सजाते थे जो कभी
आज गुज़रे दिनों में खोने लगे है
उफ़ क्या क़यामत हैं
सब दोस्त थकने लगे है ।✌

Sanjay Singh Saharan Comments

Sanjay Singh Saharan Quotes

Too many of us are not living our dreams because we are living our fears.

* _If knowledge does not support karma, it is useless even if it is useful._ *

'Friendship, like a timeless sonnet, weaves the threads of laughter and tears into the fabric of our lives, creating a tapestry of enduring bonds that stand strong in the garden of time.'

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