Sapne Wali Ladki Poem by sushant jha

Sapne Wali Ladki

जब जब वो मेरे सपने में आती है।
तब तब मेरी नींद जाने क्यों उड़ जाती है।
सपने से गर निकलूं तो मन खाली सा लगता है।
अपना ही हर लब्ज़ सवाली सा लगता है।
ज़रा सा बेचैन होकर जब आँखे बंद करता हूँ।
न जाने क्यों उसकी मुस्कुराती तस्वीर उभर आती है।
जब जब वो मेरे सपने में आती है।
तब तब मेरी नींद जाने क्यों उड़ जाती है।
जब जब देखा है उनको करीब से।
सोचा है मिलेगी मुझे वो नसीब से।
पर इस इश्क़ के है नखरे अजीब से।
हँसती भी नहीं हैं जो गुजरें करीब से।
इंतज़ार में हैं मेरे दोनों नैना गरीब से।
उनकी ये अदा मुझे बड़ा सताती है।
आ जाइये क्यों इस दिल को इतना तड़पाती हैं।
जब जब वो मेरे सपने में आती है।
तब तब मेरी नींद जाने क्यों उड़ जाती है।।

Sunday, December 6, 2015
Topic(s) of this poem: love
COMMENTS OF THE POEM
Shakil Ahmed 06 December 2015

your feelings about your dream girl is nice, a good lyric with intense passion, thanks for sharing

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sushant jha

sushant jha

jhanjharpur, Bihar
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