दिल-ओ-दिमाग में जो रहती हमेशा,
वो तस्वीर तुम्हारी है ।
दिन हो या रात हो,
वसंत, पतझड़ या बरसात हो
नीर रहित मरुस्थल हो या
बर्फ से ढके पहाड़ हो,
सुरूप, सुंदर यह छवि
प्रकृति से भी प्यारी है,
दिल-ओ-दिमाग में जो रहती हमेशा,
वो तस्वीर तुम्हारी है ।
कोयल की मीठी बोली हो
होली की रंगोली हो
रंग भरी इस दुनिया में
अपने रंग मे रंग जाते हम
ऐसी याद हमारी है
दिल-ओ-दिमाग में जो रहती हमेशा,
वो तस्वीर तुम्हारी है ।
क्या बताऊँ यह छवि है कैसी
भोर की आभा जैसी
पूर्णिमा के चंद्रमा जैसी
जैसे हो सुबह का सपना
जैसे हो कवि की कल्पना
जमाने से जूझ कर, कायदों को लांघ कर
सीने में यह ललित छवि उतारी है,
दिल-ओ-दिमाग में जो रहती हमेशा,
वो तस्वीर तुम्हारी है ।
वो तस्वीर तुम्हारी है ।।
©पमेश कुमार
8894968737
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