सूरज दादा Poem by Shaunak Chakraborty

सूरज दादा

सूरज दादा सूरज दादा
हम को यह बतला दो
क्यों कहते हैं तुमको दादा
हम को यह समझा दो

बहुत समय पहले की बात
बता रहा हूँ मेरे प्यारे
निकला था धरती से तब
चाँद तुम्हारे

चाँद सोचा कि
वह है सबसे पहला
लेकिन गलत था वह देखकर की
रोशनी है बहुत गहरा

पीछे मुड़के जब उसने देखा
आग का फुहारा
मन में आया उसके यह की
वह नहीं था पहला

दुखी से चंदा ने उसको
गुरु कहलाया
तब से पूरी दुनिया ने उसको
दादा बतलाया

Saturday, April 13, 2019
Topic(s) of this poem: hindi,rhyme,rhyme royal
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