पूछते हैं वो तेरे दामन में क्या है ज़िन्दगी Poem by M. Asim Nehal

पूछते हैं वो तेरे दामन में क्या है ज़िन्दगी

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पूछते हैं वो तेरे दामन में क्या है ज़िन्दगी

पूछते हैं वो तेरे दामन में क्या है ज़िन्दगी
हँस के कहती है कभी ये राज़ जाना किसने कहीं? ? ?

मैने कहा:
मुझको मिलती है मगर दिखती नहीं क्यूँ ज़िन्दगी?
बात सुनता हूँ सभी से, पर बोलती नहीं क्यूँ ज़िन्दगी?
गुदगुदाती है कभी और मुस्कुराती है कभी...
हर कदम हर पल नए नित रूप दिखलाती है क्यूँ ये ज़िन्दगी?
सर चढ़ती है कभी और धुल चट्वाती कभी..
चलने लगता हूँ जो मै कभी, तो दौड़ जाती क्यूँ ज़िन्दगी?

ज़िन्दगी ने कहा

तू मुक्कदर का सिकंदर है और फकीर भी,
है कभी राजा कहीं का और फिर दरवेश भी,
मै तो चंचल मनचली हूँ, टेहरना जानू नहीं,
राज़ कैसे मै बतादूँ.....मौत पीछे है खड़ी!

This is a translation of the poem A Conversation With My Life... by M. Asim Nehal
Wednesday, March 13, 2019
COMMENTS OF THE POEM
Suzon Albert 20 March 2019

Zindagi ke daman mein phool bhi hain kante bhi Khushi bhi bhi hai gham bhi Hansi bhi hai Ansoo bhi Saase bhi hai aur maut bhi Ek sikke ke do pahelu hai.

3 0 Reply
T Rajan Evol 13 March 2019

Bahut khoob, Maza aagaya padh kar.

5 0 Reply
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