तमाम फैसले जो वक़्त पर होते Poem by Ahatisham Alam

तमाम फैसले जो वक़्त पर होते

तमाम फ़ैसले जो वक़्त पर होते
मुमकिन है कि ये जज़्बात बे असर होते
ना ये रंगीनियाँ होतीं ना चश्मे तर होते
हम भी आज किसी मक़ाम पर होते

हम भी किसी के चारागर होते
कुछ हमारे भी नूरे नज़र होते
ना तुमसे ही कोई शिक़वा होता
ना इल्ज़ामाते बेज़ारी हमारे सर होते

Wednesday, March 7, 2018
Topic(s) of this poem: life
COMMENTS OF THE POEM
Kumarmani Mahakul 08 March 2018

हम भी किसी के चारागर होते कुछ हमारे भी नूरे नज़र होते........nice expression with nice theme. Beautiful poem. Thanks for sharing.

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Rajnish Manga 08 March 2018

मुहब्बत से शिकायत और ये अंदाज़े बयां खूब- 'कुछ हमारे भी नूरे नज़र होते'. खुबसूरत ख़याल.

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