अहंकार Poem by Sukhbir Singh Alagh

अहंकार

देख रे खुदा यह बन्दा
कितना मान करता है

पल पल यह अपने ही
अहंकार में मरता है

मेरी वजह से हुआ यह काम
ऐसे विचार रखता है

क्या तेरी औकाद है रे
क्या तू कर सकता है

हर एक मनुष्य में वो
खुदा ही काम करता है

Friday, December 30, 2016
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