मत रखो किसी से वैर Poem by Sukhbir Singh Alagh

मत रखो किसी से वैर

Rating: 5.0

ओह मेरे खुदा
माँगता हूं तुझसे सबकी खैर

ऐ दुनिया के लोगों
मत रखो किसी से वैर

सब की सलामती की
दुआ माँगा करो

दुशमन में भी खुदा नजर आए
ऐसी आँखे माँगा करो

Friday, December 30, 2016
Topic(s) of this poem: bio
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 29 September 2018

जिसका दिल खुबसूरत है वह हरेक में खूबसूरती तलाश करता है. वह हरेक में अपनापन देखता है और सबको भाईचारे का पैगाम देता है. बहुत बहुत धन्यवाद, सुखबीर जी.

1 0 Reply
Sukhbir Singh Alagh 29 September 2018

Thanks Sir for appreciation

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