Purushartha (Hindi) Poem by Dr Tapan Kumar Pradhan

Purushartha (Hindi)

Rating: 5.0


पुरुषार्थ

तुम सोचते हो कि अब जीवन सफल हो गया:
     आंगन में सफेद मोटर कॉर
     साल में दो पिकनिक, वैशाख में काठमाण्डु
     तीन तीन प्रमोशन, लडके को कम्प्युटर
     लडकी को कराटे, शास्त्रीय, भरतनाट्यम, ओडिशी
बस, और क्या –
          लो, सफल हो गया!           // अर्थ //


तुम सोचते हो कि अब सचमुच चैन आ गया:
     अपनी तालाब से मछली, दो दो नौकर
     पप्पी देने के लिए कोमल विदेशी कुत्ता
     टी.व्ही. पे तेंदुलकर, शाम को थिएटर
     नींद न आने पे दो गोलियाँ, रात को
     नंगी सी हसीना एक सीने से चिपकाए हुए
तुम सोचते हो आह, सचमुच
          अब चैन आ गया!           // काम //


तुम सोचते हो कि अब जिम्मेदारी पूरी हो गई –
     बुड्ढे के लिए कश्मीर का एक शाल
     बुढिया को पुरी – रामेश्वरम दो बार
     काशी वद्रिनाथ एक एक बार
     अंधे को चार आन्ना, कभी लंगडे को
     रूपया, कभी दो रूपया खिडकी से फेंक कर
तुम सोचते हो, चलो अब
          जिम्मेदारी खतम हो गयी!           // धर्म //


तुम सोचते हो अब तुम्हें मोक्ष मिल गया –
     बाजार से पच्चीस रूपये का उपनिषद खरीद कर
     अठारह श्लोक गीता के जबानी रट कर
     तडके तेत्तीस देवताओं के मंत्र उच्चाटन कर
     गंजे सर पर चंदन का शृंगार लेपते हुए
     पेट में पानी छिडकाते हुए, माला जापते हुए
     नारायण! नारायण! ! चिल्ला कर दो बार
तुम सोचते हो तुम्हें
          मोक्ष मिल गया!           // मोक्ष //


     ******

COMMENTS OF THE POEM
Ramesh Rai 08 September 2013

bahut hi achha likha hai aapne varn hindi kavitayen laila majnu tak simat kar rah jayegi. i invite you to read some of my hindi poems like NAZM, KAVITA MERI PREYASI, NILAM. thnx for sharing

4 1 Reply
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Dr Tapan Kumar Pradhan

Dr Tapan Kumar Pradhan

Bhubaneswar, Odisha, India
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