नवम्बर का सर्द महीना था,
और तेज़ हवा का मौसम था,
कुछ कुछ ओस की बूँदें थी,
और मैं याद मे तेरी डूबी थी,
कुछ कलियां महकी-महकी थी
चाहत में तेरी बहकी थी
कुछ ठंडी चांदनी रातें थी,
और ज़ेहन में बस तेरी बांते थी,
कुछ बादल काले गहरे थे,
कल चाँद पे लाखों पहरे थे,
कुछ लम्हें आपकी यादों के,
बड़ी देर से दिल में ठहरे थे,
कुछ जुल्फे उलझी-उलझी थी,
और मुझसे ये ना सुलझी थी,
उस रात नवम्बर कि सर्दी में तुम,
याद मुझे बहुत आए थे.....
याद मुझे बहुत आए थे.....
भावना
Kuch shabdon ke chayan aur herpher se is kavita ko aur bhi prabhaotpadak banaya ja sakta hai... Keep writing..Good effort
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nice nice... 10 bas vo bhavna thi man ki bhavna thi mahina to sard thaa par hamdard thaa////////