आज ये विचार करें (AAJ YE VICHAAR KAREN) Poem by Nirvaan Babbar

आज ये विचार करें (AAJ YE VICHAAR KAREN)

हम कोन हैं क्या हैं हम, चलो कुछ विचार करें,
अपने ही विचारों की थाह थामें, आज ये विचार करें,

विचार अपने हैं, हिमालय, याँ रेत, याँ गंग धार हैं,
उत्कर्ष हैं ये हमारे, याँ मार्ग की हैं अड़चने,

पुण्य भूमि है ये अपनी, याँ ये अपना पाप हैं,
आचार्य हैं ये हमारे, याँ ये सब बेकार हैं,

संसार के उपहार हैं ये ….. याँ अंतर के विश्वास हैं,
बैठ गए कहीं और से आकर, याँ ह्रदय का उठता ज्वार हैं,

ज्योति है ये मन की … याँ संसार का अंधकार हैं
क़दमों की धूल हैं ये.... याँ शीश पर सजते ताज हैं,

निर्वान बब्बर

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