फिर न जाने कहाँ खो गयी... Poem by M. Asim Nehal

फिर न जाने कहाँ खो गयी...

Rating: 5.0

सुबह की किरणों में लिपटी, शबनम में नहायी हुई
ठण्ड के मौसम में वो, थोड़ी सी गरमाई हुई
अंचल को धीरे से फैला कर उतरी थी वो
फिर न जाने कहाँ खो गयी इस भीड़ में।

फूलों पर देखा फिर तितलियों संग मंडराते हुए
मकई की बालियों संग हवा में बलखाते हुए
देखा उसे नदी की लहरों पर मछलियों संग तैरते हुए
फिर न जाने कहाँ खो गयी इस झील में।

साँझ होते ही मुंडेर पर देखा उसे घोसलों में
लौटते मछुवारों की नाव में देखा गीत गाते हुए
लालिमा ओढ़े हुए देखा फिर शरमाते हुए
फिर न जाने कहाँ खो गयी किसी मील में।

रात के अंधेरों में भी देखा सहज मुस्काते हुए
रेत पर देखा दूर तक चांदनी छानते हुए
बर्फ की छोटी पर फिर वो जम गयी सख्ताते हुए
फिर न जाने कहाँ खो गयी किसी सन्नाटों में।

COMMENTS OF THE POEM
Pallab Chaudhury 05 December 2020

Beautifully penned one... painting a romantic scene....

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Jagdish Singh Ramána 06 December 2020

क़ुदरत को बहुत ही ख़ूबसूरत ढंग से दर्शाया गया है। " फ़िर न जाने कहाँ खो गई।" - कविता की ख़ूबसूरती में हज़ार चाँद लगाती है। पर ख़ूबसूरती कभी नहीं खोती जब तक की वो दिल में न उतर जाए। चाहे निगाह से दूर हो गई हो लेकिन दिल से ना होगी कविवर के। " A thing of beauty is joy forever." Loved reading with its true essence.

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Me Poet Yeps Poet 05 December 2020

IF ONLY U CAN ENGLISIZE THIS I SHALL BE ABLE TO ENJOY IT HOPE TO FIND HER IN UR LOVELY VERSE O ASIM YOU ARE A POET A KAVI NANSEEN

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Kumarmani Mahakul 05 December 2020

रात के अंधेरों में भी देखा सहज मुस्काते हुए रेत पर देखा दूर तक चांदनी छानते हुए बर्फ की छोटी पर फिर वो जम गयी सख्ताते हुए फिर न जाने कहाँ खो गयी किसी सन्नाटों में।......बहुत सुंदर वर्णना हुआ है कारण के परे कार्य । Beautiful expression from top to bottom. Well executed. Thanks for sharing. Five stars.

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Deepak S S 05 December 2020

बहुत खूब, ये ख़ुशी चीज़ ही ेसी है

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Rajnish Manga 05 December 2020

प्रकृति की मनोहारी विविधता के ऐसे अद्वितीय दर्शन साहित्य की गलियों में आजकल कम ही प्राप्त होते हैं. यह पाठकों को आनंद देने वाला है और किसी हद तक सोचने को बाध्य भी करता है. पूरी कविता एक रहस्यमयता के सूत्र में गुंथी हुयी नज़र आती है. बहुत बहुत धन्यवाद, असीम जी.

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