Hindi Haiku (81-90) Poem by S.D. TIWARI

Hindi Haiku (81-90)

हाइकू ८१

एक दूजे को
छत पर देखते
चाँद और वो

हाइकू ८२

जलती रही
बत्ती, ढलती रही
उसकी रात

हाइकू ८३

थपेड़े खाते
लहरों को ताकते
ढीठ चट्टान

हाइकू ८४

बीत जाती है
मोमबत्ती की रात
आंसुओं में ही

हाइकू ८५

वन के फूल
तितलियों के लिए
फल खगों के

हाइकू ८६

धकेल दिया
पंख निकलते ही
माँ ने नीड से

हाइकू ८७

निर्लज्ज बने
चट्टान निहारते
हर लहर

हैकुं ८८

पितृ ऋण से
नेता उऋण हुए
पुत्र को कुर्सी

हाइकू ८९

पास आते ही
गर्म वस्त्र बाहर
ठंड के दिन

हैकुं ९०

गोधूलि बेला
पक्षी नीड देखते
गायें गोशाला

COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success